सांसारिक बोझ से मुक्ति का एक ही उपाय है संकीर्तन – देवराहा शिवनाथ दास
देवराहा शिवनाथ दासजी का हुआ भव्य स्वागत
ANA/S.Kumar
आरा। परमपूज्य त्रिकालदर्शी, परमसिद्ध संत श्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज के सान्निध्य में आरा मुफ्फसिल थानांतर्गत रामापुर-सनदिया में संकीर्तन का आयोजन किया गया। वहीं रामापुर-सनदिया पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने संत श्री देवराहा शिवनाथ दासजी का भव्य स्वागत किया।विदित हो कि संकीर्तन के पूर्व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संत श्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज ने कहा संसार में आकर मनुष्य ईश्वर को भूल गया है क्योंकि वह सांसारिक सुखों के बोझ से दब गया है।सांसारिक बोझ से मुक्ति का एक ही उपाय है संकीर्तन।
नाम संकीर्तन मस्त होकर, भगवान् में मन लगाकर किया जाना चाहिये। मन लगाने का अभिप्राय है कि दूसरे लोग मुझे देख रहे हैं या नहीं, दूसरे लोग कीर्तन कर रहे हैं या नहीं, मेरे कीर्तन का लोगों पर क्या असर पड़ रहा है-ऐसा मनमें भाव बिलकुल न रहे। ऐसा भाव वास्तव में कल्याण करने में बड़ा बाधक है। संकीर्तन में दिखावटीपन आने से वह मान-बड़ाई आदि की लौकिक वासना में परिणत हो जाता है और उसका प्रभाव जीवन पर कम पड़ता है।
भगवान् में मन लगाकर, तल्लीन होकर नाम-संकीर्तन किया जाय तो उससे एक विलक्षण वायुमण्डल बनता है। वह वायु मण्डल सब जगह फैल जाता है, जिससे संसार मात्र का हित होता है।वहीं संतश्री ने आगे कहा कि जैसे हवन करने से वायुमंडल शुद्ध होता है,वैसे ही संकीर्तन सम्पूर्ण वायुमंडल को शुद्ध कर देता है।